बारूद के ढेर पर बैठा यह शहर, कभी-भी हो सकता है धमाका

दीपावली पास आते ही नगर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में पटाखों का अवैध भंडारण शुरू हो गया है। अधिक कमाई के चक्कर में लोग सुरक्षा को लेकर नदरअंदाज कर रहवासी इलाकों में चोरी-छिपे पटाखा जमा कर रहे हैं। नगर के बीचोबीच पटाखा व्यापारियों द्वारा अवैध भंडारण किया जा रहा है।

आम आदमी की सुरक्षा को ताक पर रखकर रहवासी क्षेत्रों में हो रहे भंडारण के प्रति पुलिस प्रशासन की लापरवाही किसी भी दिन भारी पड़ सकती है। प्रशासन की ओर से अभी तक ५४ व्यापारियों को लाइसेंस जारी किए हैं, लेकिन ज्यादातर विक्रेताओं ने बिना लाइसेंस दुकानों मेें पटाखों का भंडाराण करना शुरू कर दिया है। नगर सहित पूरी तहसील में ऐसे दो दर्जन से अधिक अवैध भंडार व दुकानें हैं, जिनकी अनदेखी के चलते बड़ा धमाका हो सकता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि चार साल पहले धार जिले के पेटलावद मेें धमाका हो गया था, उस समय प्रशासन ने सख्ती दिखाई थी लेकिन कुछ महीनों बाद वहीं हाल हो गए। मकान में रखे जाने वाले पटाखों में पहुंची एक चिंगारी कभी-भी तबाही मचा सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है।

 

आंतरिक इलाकों में भी हो रहा भंडारण

मुख्य मार्ग के आसपास के इलाके सहित कुछ विशेष क्षेत्रों में दुकानदारों द्वारा पटाखों का अवैध भंडारण किया जाता है। यानी सरकारी फरमान की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं। मानक के अनुसार भीड़भाड़ वाले इलाकों में दुकान खोलने व गोदाम बनाने की मनाही है। विस्फोटक होने कारण दुकान संचालन से पूर्व प्रशासन की अनुमति लेनी पड़ती है, जो खुले में ही दुकान संचालन की अनुमति देता है। दुकान में अग्निशमन का व्यापक प्रबंध होना चाहिए। पिछले वर्ष भी उम्मीद थी कि प्रशासनिक अमला अवैध कारोबारियों के खिलाफ अभियान चलाकर इस प्रकार के भंडारण को रोकने का काम करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बार भी पटाखा व्यापारी पूरी तहसील में पटाखों का अवैध भंडारण कर रहे हैं।

 

कैसे पहुंचते हैं पटाखे

शहर में पटाखे मुख्य रूप से इंदौर-राउ या गुजारत के बड़े शहरों से सड़क मार्ग से आते हैं। कुछ व्यापारी दिल्ली से भी मंगवाते हैं। प्रतिबंध के बाद भी चायनीज पटाखे मंगाए जाते हैं, लोकल एटम, अनार, लाइटर, आतिशबाजी के दूसरे आयटम इंदौर से आते हैं। पटाखे ट्रकों में मंगाए जाते हैं। जानकारों का कहना है कि अधिकांश माल अवैध होता है। इसके बाद भी न तो आरटीओ पकड़़ता है और न ही पुलिस। थोड़ी मात्रा में ही पटाखे का परिवहन करने के लिए पटाखे के वैध होने की रसीद, परिवहन की अनुमति लगती है लेकिन इतनी भारी मात्रा में अवैध पटाखों का नगर में पहुंचना चिंताजनक है। सभी थाने और चौकी की पुलिस जानती है कि उनके इलाकों में कहां-कहां पटाखे रखे व बेचे जा रहे हैं।

 

इन नियमों का नहीं होता पालन

पटाखे को रखते निकालते घसीटा, लटकाया या फेंका नहीं जा सकता, सूर्यास्त से सूर्यास्त के बीच इनका परिवहन वर्जित है, हर दुकान के बीच १५ मीटर की दूरी होना चाहिए, हर क्षेत्र में २० मीटर दायरे में पानी व अन्य सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए, विस्फोटक संग्रहण दायरे में धूम्रपान, अग्निबतियों सहित आग भड़काने वाली किसी भी वस्तु पर प्रतिबंधित होता है।

पटाखे रखने निकालने व परिवहन के वक्त केवल १८ या उसके अधिक उम्र के लोग जा सकते हैं। पटाखों को धूप में नहीं रखा जा सकता है, इसे ले जाने वाले व्यक्ति को धातु का उपयोग वर्जित हैं। यहां तक कील लगे जूतों का प्रयोग नहीं कर सकते। अलग-अलग प्रकार के विस्फोटक को एक साथ नहीं लाया जा सकता, पटाखों को एकत्र करने वाले स्थान पर अग्निशमन होने चाहिए। गोदाम व दुकान रिहायशी इलाकों से दूर होने चाहिए। पटाखों का परिवहन करने वाले वाहन पूरी तरह से बढिय़ा होने चाहिए।

 

आंवटित दुकानों के संबंध में अधिकारी से मिले व्यापारी

हर साल की तरह मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में लगने वाले पटाखा दुकानों के आवंटन हो चुके हैं। आवंटित दुकानों के संचालन में आ रही समस्या को लेकर बुधवार को पटाखे का व्यापार करने वाले व्यापारियों ने पहले नपा सीएमओ सतीश मटसेनिया से चर्चा की उसके बाद एसडीएम आरपी वर्मा से मुलाकात कर समस्या सुनाई। उन्होंने बताया कि जो दुकानें आंवटित हुई हैं वे व्यापार के करने के लिए अपर्याप्त हैं। ५४ दुकानें आवंटित हैं यदि उसे सही प्रकिया से अस्थायी बनाए जाए तो ४० दुकानें ही संचालित हो सकेंगी। ऐसे में शेष व्यापारी चिंतित है। एसडीएम ने उचित हल निकालने का आश्वासन दिया है।

 

जांच कर कार्रवाई करेंगे

आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। पटाखा व्यापारी द्वारा रहवासी इलाकों में अवैध भंडारण करने पर कार्रवाई की जाएगी।

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